याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें : जो आपको हमेशा स्वस्थ और सेहतमंद रखेंगी :-
- रोगी के रोग की चिकित्सा करने वाले निकृष्ट , रोग के कारणों की चिकित्सा करने वाले औसत और रोग-मुक्त रखने वाले श्रेष्ठ चिकित्सक होते हैं ।
- लकवा – सोडियम की कमी के कारण होता है ।
- हाई वी पी में – स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
- लो बी पी – सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
- कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
- कफ – फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं ।
- दमा, अस्थमा – सल्फर की कमी ।
- सिजेरियन आपरेशन – आयरन , कैल्शियम की कमी ।
- सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
- अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
- जम्भाई- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
- जुकाम – जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
- ताम्बे का पानी – प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
- किडनी – भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
- गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है ।
- अस्थमा , मधुमेह , कैसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
- वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
- परम्परायें वही विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
- पथरी – अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
- RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । पानी की सफाई के लिए सहजन की फली सबसे बेहतर है ।
- सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
- पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
- भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
- गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
- चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
- शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
- वात के असर में नींद कम आती है ।
- कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
- कफ के असर में पढाई कम होती है ।
- पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।
- आँखों के रोग – कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
- शाम को वात -नाशक चीजें खानी चाहिए ।
- प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए।
- सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
- व्यायाम – वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
- भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
- जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
- निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास से बुखार शांत होता है ।
- भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
- माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
- तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
- छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
- कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
- मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
- सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
- भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
- भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।