यह आसन पाचन अंगों की कार्य-कौशलता बढ़ाता है। नियमित अभ्यास से यह पेट और जांघ के क्षेत्रों के आसपास वसा को कम” करता है। यह रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियों और पीठ की तंत्रिकाओं में ताकत बढ़ाता है।
धनुरासन के लाभ –
- यह आसन बाजुओं और जांघों की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है।
- छाती को चौड़ा करता है, जिससे श्वसन में सुधार होता है.
- इस आसन से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से भी राहत मिलती है।
- कब्ज, श्वसन विकार, हल्के पीठ दर्द, थकान और चिंता आदि में धनुरासन लाभदायक है।
सावधानियाँ –
- यदि रीढ़ की हड्डी में चोट या कैसी भी परेशानी हो तो धनुरासन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
- अगर किसी ने हाल ही में पेट का ऑपरेशन कराया हो, हर्निया या अल्सर है तो इस आसन को न करें।
- टी.बी. से पीड़ित हों तो भी यह आसान न करें।
- गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान धनुरासन करने से बचें।
इस आसन को करने की सही व अन्य सम्बंधित जानकारी के लिए अपने योग विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले लें । वे आपके शरीर के हिसाब से योग करने की सलाह देंगे.
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